4
मूळ कवि दरश वीर संधू उल्थौ आशा पाण्डेय
ओझा
1
उपराड़े पूग'र
बिने लागो 'क
दुनिया कतरी
नाह्नी सी रैगी
बी दिन सूं
खुदरो कद
पूठ माथै
लाद्याँ फिरै बो
2
कीं वादा पाक गिया है
उच्छासां रे जोर सूं
टूटता ही हुसी
दोय घड़ी ढब जा
बिछडीयां ऊँ पैली
सुण मैल्यो है'क
मौसमी फळ
चौखा रैवे
लाम्बा गैला मायं
3
आव
बूकभर पाणी पिजा
तिरस हथेिळयां री
क
अब लकीरां बिपदा री
मोताज नीं
उगेला लोई
फावड़ो बण'र
भाकरां नै
मारग करण तांई
4
ठैराव
भरम है
ढबे
कीं कोनी
हाँ
कीड़ो लाग जा
बहाव मांय
एक मियाद पछे
क्यूं जूणा री बातां करो
मूळ कवि दरश वीर संधू
उल्थो आशा पाण्डेय ओझा
मूळ कवि दरश वीर संधूउल्थो आशा पाण्डेय ओझापरिचै :-दरशवीर संधू :-जलम १४ जुलाई ललित कला मायं डिग्री कैलीफोर्नियारे सिएरा नेवाडा पहाड़ाँ बीचे रैवास मे अर कारोबार खाली समै मांय कवितालिखे अर ग्राफ़िक कला मायं सिद्ध हाथ , हिंदी अर पंजाबी दोई भाषावां लिखेनरी ऑनलाइन पत्रिकावां